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Agra



Event Name :
"पूसा डीकंपोजर" अपनाएं पराली से उत्तम खाद बनायें। * डॉ राजेंद्र सिंह चौहान, हेड, 04.09.2021**
Event Venue :
Posted on Social Media Circle App [More Then 2 Lac Subscribers of Farming & Animal Husbandry community of Agra District UP] https://circle.page/post/8666486?utm_source=an&person=117279
KVK address :
कृषि विज्ञान केंद्र, बिचपुरी, राजा बलवंत सिंह कॉलेज, आगरा 283105
Contact person details :
Dr Rajendra Singh Chauhan
Sr. Scientist cum Head
chauhanraj5985@gmail.com
9412373128 8433032225
Event Date :
9/4/2021 To 9/4/2021
Objective: To aware farmers regarding Pusa Decomposer, a microbial spray, developed by the Microbiology Division of the Indian Agriculture Research Institute (IARI), Delhi, is the harbinger of hope for an end to paddy residue burning which has been on the rise in the paddy fields of Punjab, Haryana, Uttar Pradesh and around Delhi for the last half a decade.
Pre Event Description :
धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच बहुत कम अंतर रहने के कारण किसान भाई खेत खाली करने के लिए पराली में आग लगा देते हैं। जिससे वातावरण में ग्रे- स्माग की एक मोटी चादर बन जाती है। हवा की गुणवत्ता में गिरावट आ जाती है। पराली को सामूहिक रूप से जलाने से निकलने वाला धुआं न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा होता है। वल्कि कोविड महामारी के दौरान यह और भी अधिक खतरनाक हो जाता है। किसान पराली न जलाएं, इसके लिए समाधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने एक बायो एंजाइम- जिसे "पूसा डीकंपोजर" नाम दिया गया है, इजाद किया है। * वैसे पराली जालने के बजाय किसान कई और भी विकल्प अपना सकते हैं। जिसमें बेलिंग, धान के भूसे का इन-सीटू प्रबंधन, हैप्पी सीडर का विकल्प, सुपर सीडर आदि का प्रयोग। * आईये बात करते हैं इस आसान विधि की: पूसा डीकंपोजर में हमारे खेत में ही मौजूद कवक (फफूंदनाशी) की सात प्रजातियां हैं। जिनमें धान के भूसे को गलाने की क्षमता है। धान की पुआल की कटाई के बाद इसका छिड़काव किया जाता है। यह मिट्टी के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक स्थायी समाधान है।
Target Group: Farmers and Farm Women
Male Count: 350
Female Count:100
SC Count:50
ST Count:0
Chief Guest's Name: Dr RS Chauhan, Head KVK Agra
Chief Guest's Remarks:धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच बहुत कम अंतर रहने के कारण किसान भाई खेत खाली करने के लिए पराली में आग लगा देते हैं। जिससे वातावरण में ग्रे- स्माग की एक मोटी चादर बन जाती है। हवा की गुणवत्ता में गिरावट आ जाती है। पराली को सामूहिक रूप से जलाने से निकलने वाला धुआं न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा होता है। वल्कि कोविड महामारी के दौरान यह और भी अधिक खतरनाक हो जाता है। किसान पराली न जलाएं, इसके लिए समाधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने एक बायो एंजाइम- जिसे "पूसा डीकंपोजर" नाम दिया गया है, इजाद किया है।
Post Event Details:About more than 5000 farmers and general users read this news.
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