Event Category :
Kisan Goshthi
Venue :
Banskudi, Sirsiya
Description :
देश की खाद्य सुरक्षा के लिए एक अहम चुनौती जलवायु परिवर्तन और इससे लगातार सूखा, मिड सीजन सूखा, चक्रवात, बाढ़, लू, शीतलहर और समुद्र के खारे पानी का तटीय इलाकों में प्रवेश जैसे प्रभाव हैं। साल 2030 तक तापमान में 1 से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है, जो पैदावार पर गंभीर प्रभाव डालेगा।
उच्च तापमान फसल की अवधि को छोटा, प्रकाश संश्लेषण में बदलाव, फसल श्वसन दर में इजाफा और कीटाणुओं की आबादी को भी प्रभावित करेगा। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन पोषक तत्वों को जैविक से गैर-जैविक में बदलता है और उर्वरक इस्तेमाल की क्षमता को भी प्रभावित करता है। साथ ही मिट्टी से वाष्पन-उत्सर्जन को भी बढ़ाता है, जिससे आखिरकार प्राकृतिक संसाधनों का क्षय होता है।
जलवायु परिवर्तन का असर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से फसल, पानी और मिट्टी पर पड़ता है क्योंकि ये पानी की उपलब्धता, सुखाड़ की तीव्रता, सूक्ष्मजीव की आबादी, मिट्टी में मौजूद जैविक तत्वों में कमी, कम पैदावार, मृदा अपरदन के चलते मिट्टी की उर्वराशक्ति में गिरावट आदि को प्रभावित करता है।
Contact Person Details
Dr.Umesh Babu
Scientist (GPB)
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9454321000